काश ! हदों की भी हद होती
तो शायद, भ्रष्टाचारियों को फांसी लग गई होती ?
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सच ! बिना सैटिंग के भी कभी कुछ हुआ है 'उदय'
एक तुम हो, खामों-खाँ लिखने में उलझे हुए हो ?
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सच्चे प्रेम की अस्थियाँ, आज गंगा में बहा दी हैं 'उदय'
क्या करते, ....... नया ऑफर आया है मुहब्बत का ??
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किसी लुच्चे को, लुच्चा क्यूँ कह देते हो 'उदय'
आखिर, .............. उसकी भी तो आबरू है ?
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'उदय' क्या मिलेगा इन्हें, इस ऊँचाई को छू कर
अपनी ही नजर में, ................ गिर गिर कर ?
1 comment:
किसी लुच्चे को, लुच्चा क्यूँ कह देते हो 'उदय'
आखिर, .............. उसकी भी तो आबरू है ? ....बहुत सुन्दर !
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