उनकी जरूरतों ने, हमें उनका बाप बनाया था 'उदय'
अब, जब जरूरतें नहीं हैं, तो वो हमें पहचानते नहीं !
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चरणों में दंडवत तो हजारों की फ़ौज है 'उदय'
पर लगता नहीं, कोई तूफानों में संग नजर आए ?
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दोस्तों में, दबी मायूसी देख के, यकीं है 'उदय'
कि - कदम हमारे सही राह पर हैं !
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दौर-ए-बुराई तो गुजर जाना है 'उदय'
पर, क्या खोया - क्या पाया, कशमकश कायम रहेगी !
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सच ! गर मर्जी होगी 'सांई' की, तो तय है 'उदय'
किसी दिन, महसूस कर लेंगे खुशबू गुलाब की !!
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कलम मेरी 'उदय', उन मगरुरों के लिए नहीं चलती
सच ! जो, खुद को कलम के देवता समझते हैं !!
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तेरे आदाब का ढंग, किसी सजदे से कम नहीं है दोस्त
चाहकर - न चाहकर भी, तू मुझे अपना बना लेता है !
1 comment:
कलम मेरी 'उदय', उन मगरुरों के लिए नहीं चलती
सच ! जो, खुद को कलम के देवता समझते हैं !!
क्या खूब! क्या खूब! :)
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