Sunday, May 6, 2012

सबब ...


सच ! ये हुनर भी कोई उनसे सीखे 'उदय' 
बिना नकाब के, वो रुख को छिपा के चलते हैं ! 
... 
मौक़ा मिले तो देखें, तेरी आँखों का हम समुन्दर 
पलकों पे हर घड़ी, क्यूँ लहरें हिलोर भरतीं ?
... 
सच ! अब ये तो 'रब' ही जानता है 'उदय' 
हंसते-हंसते उनके शर्माने का सबब ? 

2 comments:

***Punam*** said...

सच ! ये हुनर भी कोई उनसे सीखे 'उदय'
बिना नकाब के, वो रुख को छिपा के चलते हैं !

सबको ये हुनर आता नहीं...
या खुदा कोई मुझे भी सीखा दे...!!
बहुत खूब....!!

Unknown said...

Nice..

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