न सरहद, न जमीं है वजह, 'उदय' आज तकरार की
ज़िंदा रहने के लिए, हमें कुछ रंग तो बदलने होंगे !!
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होने को तो, मुर्दे भी ज़िंदा हो जाते हैं 'उदय'
पर, कोई ये न भूले, कि हम अभी ज़िंदा हैं !
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'उदय' कहता है, जख्मों को छिपा के रखना यारो
जो भी देखेगा, कुरेद कर चला जाएगा !
2 comments:
सुन अठिलैंहें लोग सब, बाट न लैहें कोऊ
वाह! बेहतरीन शेर
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