मुफ्त की चीजें भी, लेने से कतराने लगे हैं लोग
सलाह ....... जैसे चिपक जायेगी उनसे ?
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न आया तेरा पैगाम, कोई रंज-ओ-गम नहीं
सुना है, भरी महफ़िल में तुम गुमसुम-से थे ?
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जी चाहे, उतना कुरेदते रहो जख्म मेरे
तुम्हारे सुकूं पे, क्यूँ अब रंज हो हमको ?
1 comment:
कहाँ कुछ मुफ्त रहता है जीवन में...
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