पहले लिखो, जी तोड़ मेहनत करो
फिर
किसी प्रकाशक से संपर्क साध कर
उसे छपवाओ ... किताब की शक्ल में
वो भी अपनी कीमत पर
संतोष ... !
फिर, कुछ दिन बाद उसे
मुफ्त में, अपने -
मित्रों
सगे-संबंधियों
लेखकों
आलोचकों
समीक्षकों
पत्रकारों
संपादकों ... इत्यादि को
स्वयं के डाक खर्च पर ... बाँट दो
यह एक बेहद सहज व सरल तरीका है
आधुनिक लेखक ...
बनने व कहलवाने का !!
इसी दौरान
यदि आप जुगाड़ बैठने-बिठाने में सफल रहे
तो आपका
पुरूस्कार, मान, सम्मान ...
भी लगभग तय है ... जय हो !!!
3 comments:
विख्यात होने में बहुत श्रम लगता है, धन भी।
badhiya kavita..
बहुत सही कहा आपने !
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