'उदय' सुन लो ज़रा, वो जिनकी चीख सुनकर इंकलाबी हो गया था
जब गूंगे हुए खुद वो, तो उसकी मौत का फरमान जारी हो गया !!!
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रखो संभाल के खुद को, कि शहर लुटेरा है
नहीं है कोई यहाँ ऐंसा, जो बख्श दे तुमको !
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उसे लिफ्ट देकर, हम बुरे फंसे हैं 'उदय'
उफ़ ! बात का बतंगड़ हो रहा है !!
1 comment:
बतंगड़ी समाज..
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