"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
काश दिल का आकार समझ आ पाता।
achche sher likhe hain.kabhi vaqt mile to humare blog par bhi tashreef laaiyega.
Very nice
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3 comments:
काश दिल का आकार समझ आ पाता।
achche sher likhe hain.kabhi vaqt mile to humare blog par bhi tashreef laaiyega.
Very nice
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