Saturday, April 7, 2012

फरमान ...

काश ! हम भी झूठ बोलने के हुनर में माहिर होते 'उदय'
तो आज, इस भीड़ में तन्हा नहीं होते !!
...
लो, आज उसके क़त्ल का फरमान जारी हो गया
जो सुबह-औ-शाम, मजहबी दीवारें गिरा रहा था !
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कहीं, ये वही हाँथ तो नहीं हैं 'उदय'
जो ख़्वाबों में रोज हमें छूते हैं !
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जा के कोई कह दे, 'उदय' उनके लिए नहीं लिखता
जिन्हें, बाप के सिबाय कोई और नहीं भाता !!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

सच खड़ा अकेला है।