"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
खड़ा होता रूबरू धनुष की तरहपलट के भौंकता जैसे तीर छूटा है!
bahot achche......
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खड़ा होता रूबरू धनुष की तरह
पलट के भौंकता जैसे तीर छूटा है!
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