गम-औ-खुशी के बीच, चलो एक रस्ता बनाएं हम 'उदय'
कितने भी आएँ गम मगर, खुशियाँ भी उनके सांथ हों !!
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तुम उधर से हैलो कहो, मैं इधर से हाय कहूँ
कहते-सुनते, खुद-ब-खुद एक शेर हो जाएगा !
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हाल-ए-वतन, अब कोई हमसे न पूंछे 'उदय'
क्योंकि - किसे उल्लू, किसे हम शाख बोलें !
1 comment:
सच कहा आपने, आगे तो बढ़ना ही होगा।
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