"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
सच कहा, आधुनिक किताबें हैं ये..
सच लिखा है आज की कविता अकविता है जिस पर त्व्ररित टिप्पणी मिल जाती है और कवि या लेखक खुश हो जाता है |कई बार विचार आता है क्या यह भी क्या यह रचानाए साहित्य के नाम पर पढ़ी जाएंगीआशा
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सच कहा, आधुनिक किताबें हैं ये..
सच लिखा है आज की कविता अकविता है जिस पर त्व्ररित टिप्पणी मिल जाती है और कवि या लेखक खुश हो जाता है |कई बार विचार आता है क्या यह भी क्या यह रचानाए साहित्य के नाम पर पढ़ी जाएंगी
आशा
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