"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
शाश्वत खेल है यह तो..
vishvaas rakhiye....ek n ek din khatm hi hona hai....
कभी कभी लगता है वक़्त , समाज ..सब ही मदारी है और हम बन्दर... सत्य बचन
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3 comments:
शाश्वत खेल है यह तो..
vishvaas rakhiye....
ek n ek din khatm hi hona hai....
कभी कभी लगता है वक़्त , समाज ..सब ही मदारी है और हम बन्दर... सत्य बचन
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