Friday, March 2, 2012

दिल के टुकड़े ...

बहुत मुश्किल नहीं था फासला, दो कदमों का
गुजर गए सालों, और हम तय कर नहीं पाए !
...
हे 'खुदा', तनिक हमें भी फरेबी बना दे
दिल के टुकड़े, अब सहेजे नहीं जाते !!
...
प्यार ... गर है, तो कह दो
पहले आप - पहले आप में रक्खा क्या है ?

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

छोटी बातों से वर्षों के फासले पट जाते हैं।