Wednesday, February 29, 2012

फरेब का तजुर्वा ...

है मुमकिन करो कोशिश, तुम मुझको भूल जाने की
पर नामुमकिन ही लगता है, भुला पाना मुझे यारा !
...
काश ! हमें भी फरेब का तजुर्वा होता 'उदय'
तो बाहों में कोई, आँखों में कोई और होता !