मैं 
पागल नहीं हूँ 
और न ही कोई सिरफिरा हूँ 
फिर भी 
हर पल, हर क्षण, हर घड़ी 
कुछ न कुछ चीखते रहता हूँ ! 
उनके लिए नहीं हैं 
जो अपने हांथों से 
अपने कानों में रुई ठूंस के 
कंटोपा पहन के बैठे हैं !
ये चीखें -
उनके लिए भी नहीं हैं 
जो अंधे हैं -
या 
जान-बूझकर अंधे बने हुए हैं ! 
ये चीखें -
सिर्फ उनके लिए हैं 
जो 
गलत राह पकड़ के 
उन अंधे-बहरों की ओर 
झूठी उम्मीदों संग बढ़ रहे हैं ! 
वो भी सिर्फ इसलिए 
कि - 
उन्हें रोकने का 
कम से कम 
एक प्रयास तो किया ही जाए
कहीं, वे भी -
उनके जैसे अंधे-बहरे न बन जाएं !
क्यों, क्योंकि - 
इस तरह उनके जैसा बनकर 
स्वतंत्रता में 
गणतंत्रता में 
उनका भी योगदान 
उनके जैसा, नगण्य ही रहेगा !! 
 
 
1 comment:
काश उनके अनुयायी ही सच जान लें..
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