कुछ पल को ही बिखरा है, ये सन्नाटा 
क्यूँ लगता है मुझको ये सदियों-सा है ?
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दिलों की धड़कनें, तूफ़ान सी चल रही हैं 
कहीं तुम तो नहीं, जो उन्हें भाने लगे हो !
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क्या गजब की शान-औ-शौकत है उसकी 
देख के लगता नहीं कि चोर-उचक्का है ! 
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गम नहीं है, कि वो दोस्त होकर भी जलते हैं 
खुशी इस बात की, कि वो सहम के मिलते हैं ! 
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सच ! गजब के दस्तूर हुए हैं मेरे मुल्क में 'उदय' 
उनकी बातें झूठी हैं, और अपनी बातें सच्ची हैं ! 
 
 
2 comments:
गम नहीं है, कि वो दोस्त होकर भी जलते हैं
खुशी इस बात की, कि वो सहम के मिलते हैं !
...sabhi sher badhia hain parantu ye sher mujhe bahut pasand aaya.
दस्तूर ए दोस्ती के पैमाने बदल गये हैं हुजूर..
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