क्या करूँ, क्या न करूँ ?
सोच सोच के -
बहुत टेंशन बढ़ रहा है !
ग्रेजुएट हूँ, इसलिए -
मजदूरी भी नहीं कर सकता !
एक अच्छे घर का हूँ,
इसलिए -
भीख भी नहीं मांग सकता !
आत्मा स्वाभिमानी है,
इसलिए -
चोरी, लूट, डकैती, ठगी, जैसे
असामाजिक -
काम भी नहीं कर सकता !
सोच रहा हूँ -
बार बार यही सोच रहा हूँ !
ग्रेजुएट हूँ -
करूँ तो आखिर क्या करूँ !!
2 comments:
इन्सान की बेबशी का रूबरू चित्रण .
समस्या गंभीर है,
धुंधली तकदीर है।
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