Friday, December 16, 2011

... कौन सच्चा, कौन झूठा ?

सुबह की ठण्ड है, या बर्फ की दुनिया हुई है
जिधर देखो उधर, गर्म साँसें भाप बन के उड़ रही हैं !
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अभी तो ये महज एक सरसराहट है
अभी से क्यूँ भला तुम सहमे हुए हो !
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बामुश्किल 'गुड नाईट' कह के सोये थे
सच ! नींद में ही वे हमें 'गुड मार्निंग' कहते दिख रहे थे !!
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आरोप ... सजा ... मुक्ति ... इधर ... उधर
कौन सच्चा, कौन झूठा ?
...
दिल धड़कता सा है तेरी आहट पे
कैसे कह दें कि मुहब्बत नहीं है तुमसे !

1 comment:

रश्मि प्रभा... said...

दिल धड़कता सा है तेरी आहट पे
कैसे कह दें कि मुहब्बत नहीं है तुमसे !waah