तेरी हाँ हो, या ना हो, या रहे खामोश तू
तेरी मुस्कान के आगे, सब बेअसर हैं !!
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मैं जब तक रहा ज़िंदा, बंद थी बोलती सब की
अब मर गया हूँ तो चारों तरफ कांव-कांव है !
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तेरे सांथ होने से, जिंदगी में उथल-पुथल सी है
मगर तेरा सांथ, 'खुदा' से कम भी नहीं लगता !
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'सितारों' का टूटना कैसा, औ न टूटना कैसा
उन्हें तो हर हाल में, जगमगाना है !
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कब तलक अंधेरों में, यूँ ही मायूस बैठोगे
क्यूँ खुद ही 'दीप' बन जल नहीं जाते !
1 comment:
कान बन्द करने से ठंड भी बचेगी।
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