"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Monday, November 7, 2011
ईद मुबारकां ...
ईद मुबारकां ... ... आओ लगकर गले, गुलज़ार कर दें ये जहां दिल से कहें, जाँ से प्यारा है हमें हिन्दोस्तां ! ... सच ! ईद थी, पर 'ईद' में तन्हाई थी वो उधर, और हम इधर, खामोश थे !
No comments:
Post a Comment