अमिताभ बच्चन जैसी शख्सियत
जब कंप्यूटर को -
"कंप्यूटर जी" कह के बुलाते हैं
तब कोई बात नहीं होती
और, उन्हें कोई कुछ नहीं कहता !
शैलेश लोढ़ा जैसे कवि
जब टेलीफोन को -
"टेलीफोन भईय्या" कह के
सम्बोदन करते हैं
तब भी कोई बात नहीं होती !
उफ़ ! आज हमारी ही सामत आई थी
जो फेसबुक को -
"फेसबुक यार" कहते हुए -
जुबां फिसल गई
बीबी ने -
सारा मोहल्ला सिर पे उठा लिया है !
अब कैसे समझाएं हम 'उदय'
कि -
फेसबुक से -
हमारा सिर्फ याराना है
कोई मुहब्बत का तराना नहीं है !
"जी" और "भईय्या" जैसी भी
कोई बात नहीं है
बस घड़ी दो घड़ी को बैठ जाते हैं
कभी उसकी सुन लेते हैं -
तो कभी अपनी कह देते हैं !
सच ! "फेसबुक" से हमारा -
इससे जियादा कोई अफसाना नहीं है !!
4 comments:
बात में तो आपकी दम है।
बढ़िया .. चलिए याराना तो है न.
क्या बात कही है।
अच्छी प्रस्तुति,सुन्दर रचना !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है कृपया अपने महत्त्वपूर्ण विचारों से अवगत कराएँ ।
http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html
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