Wednesday, November 2, 2011

सवालों पे सवाल ...

हुजूर, आप भी ...
कभी शायरी
कभी कविता
कभी व्यंग्य
कभी हास्य
कभी कहानी
कभी लघुकथा
कभी कुछ और
दरअसल आप लिखते क्या हो ?
क्या कुछ कन्फ्यूजन है ?
या कुछ सीख रहे हो ?
मुझे तो लगता है
कि -
आप खिलाड़ी नहीं हो, बोलो सच कहा न ?
खैर छोडो, ये बताओ ऐंसा क्यूँ कर रहे हो ?
कहीं एक जगह टिकते क्यूँ नहीं हो, हुजूर ?
मैंने कहा ... जी ...
अच्छा जाने दो -
मुझे जल्दी है, फिर किसी दिन बता देना !!

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