Wednesday, July 6, 2011

... पास भी हो गए, और फ़ैल भी हो गए !!

लम्हे लम्हे की एक एक जिन्दगी कर देंगे हम 'उदय'
बशर्ते, कोई उसे चैन से जीना चाहे !
...
जी चाहे कि छोड़ दूं, ये अंगार सी बातें
कब तक जलूंगा खुद, और तुझे कब तक जलाऊंगा !
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देते देते चक्कर, खुद ही घनचक्कर हो गए
उफ़ ! पास भी हो गए, और फ़ैल भी हो गए !
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ये मानते हैं हम, तू लेखक महान है
कभी देख ले हमें, हम भी लिखते जहान हैं !
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खिला लो गुल, हंसी मौक़ा मिला है
नक्सली आड़ में, करोड़ों का, ड्रा बम्फर खुला है !
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तेरे बिना ये जिन्दगी कुछ भी नहीं थी
तेरे होने से, सारा जहां अपना लगे है !
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जी चाहे, जितना भी छिपा लो जिस्म
ये मेरी आँखें हैं, जो चाहें देख लें !
...
उफ़ ! ज़िंदा हूँ, तो बेहद अकेला हूँ
लाश हो जाऊंगा, भीड़ हो जायेगी !
...
फेसबुकिया दोस्ती भी हम, ठीक से निभा पाए 'उदय'
उफ़ ! जाने क्या लिख दिया, कि दिल टूट गया !!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

कुछ में पास, कुछ में फेल।