"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Saturday, July 16, 2011
काला चूना !
हम इतने नाजुक, कोमल, भोले हैं गर चाहते भी तो खुद को बेच नहीं पाते ! गर होते हम चतुर, चालाक, चांडाल तब इतना तो तय था बेच भी देते खुद को और लगा के चूना खरीददार को जेब में रखते पैसा और खुद ही घर भी वापस आ जाते !!
1 comment:
बेहतरीन।
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