हर रंग से जुदा हैं, रंग जिसपे खुद-ब-खुद फ़िदा हैं
बेटियाँ इस धरा में, रंग-खुशबू-प्रेम का आसमां हैं !
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न जाने क्या कहा तुमने, न जाने क्या सुना हमने
क्या समझें, क्या न समझें, समझना भी जरुरी है !
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वफ़ा करते करते, न जाने कब, हम बेफवा हो गए
जाते जाते, रूह और जमीं, एक-दूजे से खफा हो गए !
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इन आँखों की गुस्ताखियों ने, मुझे तेरा दीवाना बना दिया
वरना, बता, तू खुद ही मुझे, तुझ में ऐसा रक्खा क्या है !!
6 comments:
पहला वाला सबसे बढ़िया.
निःशब्द .......बहुत सुंदर !!
उदय जी सुंदर रचना | बधाई |
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
prbhavi!! bahut achcha laga dinon bad aaya hun. samay ki khoob qillat hai bhai.
वाह।
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