न बदले हैं, न बदलेंगे
तुम चाहे, जो चाहे कर लो
भ्रष्ट हुए, तो क्या हुए
देश हमारा, राज हमारा
जनता, नेता, खेल हमारा
हम से न भिड़ना, दोबारा
एक, दो, तीन, ... नहीं
सैकड़ों-हजारों को निपटायेंगे
जो भी आया, राह में अपने
उसे दांतों चने चब-बायेंगे
पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस
सबके दाम बढ़ाएंगे
सीडब्लू हो, या हो टूजी
जो होता है, होने दो
चलता है, सब चलने दो
देश हमारा, राज हमारा
न बदले हैं, न बदलेंगे
तुम चाहे, जो चाहे कर लो !!
4 comments:
बेहद खूबसूरत कविता
जो बदल गया वह मर्द कहाँ?
बहुत सटीक प्रस्तुति..
आज की सच्चाई, एक कड़वा सच जिसे स्वीकार करना पड़ेगा तब तक जब तक परिस्थितियाँ बदल न जाए. एक सुन्दर आह्वान, सार्थक आह्वान , क्रांति के लिए प्रेरित करता हुआ जोशपूर्ण कथ्य. बधाई प्रयास जरूर रंग लायेगा.....
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