Tuesday, June 14, 2011

... कहीं कडुवा, तो कहीं मीठा है मोहब्बत का फ़साना !

भटके फिरे हम रात-दिन, सौदा बड़ा अनमोल था
हम बिक रहे थे, बिक गए, क्रेता बड़ा दिलदार था !
...
फरेब, दुश्मनी, सियासत, बाजीगरी, हंसना, रोना
कहीं कडुवा, तो कहीं मीठा है मोहब्बत का फ़साना !
...
मौत थी, जिन्दगी थी मेरी
मैं किसी का था, किसी का था !
...
तेरे बिना, कहाँ सुकूं होता है, वीरान रातों में
उफ़ ! रात गुजरे, तब कहीं सुबह की सोचें !!
...
यदा-कदा, यादों के सफ़र के, हम हमसफ़र हैं
कभी तुम सांथ होते हो, कभी कोई नहीं होता !
...
वन्दे मातरम
, भ्रष्टतम भ्रष्ट भ्रष्टाचारियों का निपटना, तय है
अनशन ! आज झौंके हवा के हैं कल तूफां बनेंगे, जय हिंद !!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

लोकतन्त्र की सतत प्रतीक्षा।