चलो, मान लिया
मानना था !
क्या रक्खा था
फिजूल की बहसों में
गुनाह हो जाता
गर, हम न मानते !
चलो अच्छा हुआ, जो हुआ
कोई तो खुश है
किसी को तो सुकून मिला !
पहले कितने बुरे थे, हम
तर्क, वितर्क, कुतर्क
लगते थे करने
पर, बदल गए, समय, काल, हम !
तर्क, वितर्क, कुतर्क
लगते थे करने
पर, बदल गए, समय, काल, हम !
चलो, काम आए
हम, आज किसी के
पहले
सुनते नहीं थे, किसी की
हुआ करते थे
मालिक -
हम अपनी मर्जी के !!
3 comments:
मर्जी के मालिक, हाँ कुछ कुछ याद आ रहा है।
आज भी हैं... और कल भी रहेंगे...
chalo aacha hua jo hua koi to khush hai,,,,,,
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