उम्र तिहेत्तर
नाम है अन्ना
कमर में धोती
बदन पे कुर्ता
सिर पे टोपी शान है
चल पडा है, लड़ पडा है
जन, गण, मन, के खातिर
फैले भ्रष्टाचार से !
भ्रष्ट, भ्रष्टतम, भ्रष्टाचारी
चक्रव्यूह
हैं गढ़ने वाले
न गढ़ पाएं, चक्रव्यूह वो
हमें, एक ऐसी अलख जगाना है
लड़ना है, लड़ जाना है
फैले भ्रष्टाचार से
चलो, चलें
हम सब मिलकर
हिम्मत, जज्बा, कदम, मिला दें
संग अन्ना के, कदम बढ़ा दें
लड़ लें, जीत लें, हम, फैले भ्रष्टाचार से !!
4 comments:
jai ho anna hajare ki
प्रेरक रचना के लिए आभार।
अब यह हम सभी भारतीयों की जिम्मेदारी है कि वे न केवल नींद से जागें, अपितु चौकन्ने होकर ऐसे तत्वों की पहचान करने लगें जो इस मुहिम को कमजोर कर देना चाहते हैं।
उत्साह संचारित करती कविता।
Post a Comment