"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
kiya khwab hai....jai baba banaras....
यही ख्वाब हम सबका हो।
बहुत अच्छी कविता।
बहुत खूब उदय जी
ख्वाब तो हम भी ऎसे ही देखते हे, धन्यवाद
अल्लाह से दुआ है कि ऐसे ख्वाब सच हो जाएं.. और आशा करता हूँ कि ये ख्वाब आपने दिन में रचे थे.. क्योंकि दिन के सपने सच होते हैं :)तीन साल ब्लॉगिंग के पर आपके विचार का इंतज़ार है..आभार
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6 comments:
kiya khwab hai....
jai baba banaras....
यही ख्वाब हम सबका हो।
बहुत अच्छी कविता।
बहुत खूब उदय जी
ख्वाब तो हम भी ऎसे ही देखते हे, धन्यवाद
अल्लाह से दुआ है कि ऐसे ख्वाब सच हो जाएं.. और आशा करता हूँ कि ये ख्वाब आपने दिन में रचे थे.. क्योंकि दिन के सपने सच होते हैं :)
तीन साल ब्लॉगिंग के पर आपके विचार का इंतज़ार है..
आभार
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