कविता : जन लोकपाल
जन लोकपाल बिल
एक पहरेदार
लोकतंत्र का रक्षक बनेगा
चलो, पहुंचो, पहुच जाओ
जंतर मंतर
अन्ना बैठा है वहां
आमरण अनशन पर
आज मौक़ा हंसी है
बढ़ो, लड़ लो
इनसे लड़ लो यारो
मारो, मार डालो
भ्रष्टाचार को
कहीं भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचारी
कल, शैतान न बन जाएं !!
3 comments:
इनसे लड़ लो यारो
मारो, मार डालो
कहीं भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचारी
कल, शैतान न बन जाएं !!
बहुत सुंदर कविता ..
baat me dum hai hum aapke sath hai
यह भी समस्या है।
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