Wednesday, April 6, 2011

..... कल, शैतान न बन जाएं !!

कविता : जन लोकपाल

जन लोकपाल बिल
एक पहरेदार
लोकतंत्र का रक्षक बनेगा
चलो, पहुंचो, पहुच जाओ
जंतर मंतर
अन्ना बैठा है वहां
आमरण अनशन पर
आज मौक़ा हंसी है
बढ़ो, लड़ लो
इनसे लड़ लो यारो
मारो, मार डालो
भ्रष्टाचार को
कहीं भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचारी
कल, शैतान बन जाएं !!

3 comments:

शिवा said...

इनसे लड़ लो यारो
मारो, मार डालो
कहीं भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचारी
कल, शैतान न बन जाएं !!

बहुत सुंदर कविता ..

बालकिशन(kishana jee) said...

baat me dum hai hum aapke sath hai

प्रवीण पाण्डेय said...

यह भी समस्या है।