चंद लफ्जों में बयां कर दी थी कहानी हमने
पढ़ते पढ़ते न जाने क्यूं, वो लम्बी हो गई !
...
हम शब्दों से प्यार और शब्दों से ही चोट करते हैं
कभी फुर्सत मिले, तो शब्दों को टटोल लेना !
...
हंसना-रोना तो पल पल में बदल जाता है 'उदय'
सच ! कभी मौक़ा मिले, तो ज़रा खामोश रहो !
...
वक्त का कारवां तो बढ़ता, आगे चलता रहता है 'उदय'
ज़रा रुककर, ठहर कर, खुदी को टटोलना सीखो !
...
लोकसभा-विधानसभा में थप्पड़, झूमा-झटकी, मारपीट
उफ़ ! देश के हालात नाजुक हैं, कहीं हत्याएं न होने लगें !
...
अब कोई हम से न पूछे, साख और उल्लू की दास्तां
सारे के सारे गुलिस्तां में, उल्लू-उल्लूओं का राज है !
...
हमें तो कहीं, महापुरुष होने-बनने का कोई पैमाना नहीं दिखता
गर है, तो कोई बताये हमें, महापुरुषों की श्रेणी में कौन नहीं है !
...
भारत महान ! महानता का जिक्र, जब जब शहर में होता है
न जाने क्यूं, भ्रष्ट लोकतंत्र की पीड़ा जहन में कौंध जाती है !
...
काश ! तुमने कपडे पहने हुए होते, जिन्हें उतारने का दम भरती हो
उफ़ ! टीम की जीत पर कोई नंगी, कपडे उतारेगी तो क्या उतारेगी !
...
किसी ने नापना चाहा था कद मेरा, मेरे ठिकाने से
उसे नहीं थी खबर, मैं अभी सफ़र के रास्ते पर हूँ !!
2 comments:
हम शब्दों से प्यार और शब्दों से ही चोट करते हैं
कभी फुर्सत मिले, तो शब्दों को टटोल लेना !
...
wah kya baat hai
uday bhaai khub likha jaa rhaa he . akhtar khan akela kota rajsthan
Post a Comment