आज फिर सब में, किसी ने गुड मार्निंग कहा
काश ! ये सब, हंसी, मोहक, सुहानी हो जाए !
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सच ! जब जब देखा मैंने गौरैया को, तुम मुझको याद आईं
और जब जब देखा तुमको मैंने, तुम गौरैया सी मन को भाईँ !
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एक सच्चाई से झलके, तो सच झलके ऐसे
सच ! नजर उठे, ठहरे तो, बस ठहरी ही रहे !
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सच ! न जाने कब तलक खुद को, हम यूं ही बेचेंगे
वतन की आन, वान, शान पे न जाने कब मिटेंगे !
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सच ! अब तो हमें खुदी पे एतबार न रहा
फिर भी अगर चाहो, तो हमें चाहते रहो !
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खतों का सिलसिला, अब थम सा गया है
जब से हमनें, हवाओं संग गुफ्तगू की है !
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तू इतना भी न कर गुमां खुद पे, जीत जाने का
सच ! मैदान में तो आ, तुझे भी आज मायेंगे !
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उफ़ ! सारे वतन में दलाली, दलालों का बोलबाला हुआ
हुआ है खौफ जहन में, कहीं कोई उसका सौदा न करे !
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एक अर्सा हुआ गुजरे हुए, तेरी जिन्दगी से
कभी हम याद आएं तो ज़रा मुस्कुरा लेना !
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क्या खूब, क्या खूब, क्या खूब खबर है
बधाई, बधाई, बधाई, शुभ-शुभकामनाएं !
4 comments:
शब्बा खैर.
बहुत सुंदर....!!
हर शेर बहुत खूब ...
खतों का सिलसिला, अब थम सा गया है
जब से हमनें, हवाओं संग गुफ्तगू की है !
क्या खूब, क्या खूब, क्या खूब खबर है
बधाई, बधाई, बधाई, शुभ-शुभकामनाएं !
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