Saturday, January 29, 2011

सावधान ! वहां आम आदमी का आना-जाना मना है !!

किसी ने चमकती सूरत पे, फरेबी सीरत छिपा रखी थी 'उदय'
उफ़ ! आँखों पे यकीं रहा, दिल और दिमाग ने धोखा खा लिया !
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जो जज्बात सालों में, हम समझने पाए
सच ! एहसान नहीं, फर्ज ही था मेरा !
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हदें मिट चुकी हैं, इंसानियत कीं 'उदय'
चहूँ ओर शैतानियत का बसेरा है !
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जिन्दगी की राहें, धूप-छांव में गुजरती रहीं
सच ! यादें समेट के रख लीं हैं हमने !
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नारी ! दीप बन कर जब जले, रौशन हो जाए है घर
लक्ष्मी जब मान लें हम, मंदिर हो जाए है घर !
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नारी ! मोम बन पिघले जब, क्यूं सहेजा जाए
नई शक्ल देकर, क्यूं घर को सजाया जाए !
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कोई धृतराष्ट्र, तो कोई गांधारी को समझाये 'उदय'
ये लोकतंत्र है, कोई दुर्योधन नहीं है !
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भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, धृतराष्ट्र, खामोश हैं
अरे भाई ये लोकतंत्र है, कोई विधुर की भी तो सुन ले !
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नसीब, इबादत, दुआएं, खुद्दारी, जन्नतें
सच ! सब में तेरा बसेरा है !
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सर्कस, जादू, चिड़ियाघर, सरकार, लोकतंत्र
कहीं कुछ फर्क दिखता नहीं 'उदय', तमाशे ही तमाशे हैं !
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आंधियाँ उजाड़ दें, घरौंदों को
मिटा के भेद, चलो डं के खड़े रहें !
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ये सच है आजादी झूठी नहीं है 'उदय'
उफ़ ! कहीं मीठी, तो कहीं भूखी है !
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पता नहीं कब से, हम अपने रहे 'उदय'
कोई तो है, जिसने हमें अपना बनाया है !
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जिंदगानी, नौजवानी, मौज में कटती रहे
आज यहाँ, तो कल वहाँ की सैर होते रहे !
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स्वीस बैंक, काला धन, एक अलग दुनिया है 'उदय'
सावधान ! वहां आम आदमी का आना-जाना मना है !

8 comments:

Kunwar Kusumesh said...

सुन्दर अभिव्यक्ति.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

हर शेर तेज़ धार वाला ..बहुत अच्छी प्रस्तुति

प्रवीण पाण्डेय said...

लोकतन्त्र में विदुर रिटायर हो चुका है।

महेन्‍द्र वर्मा said...

जिन्दगी की राहें, धूप-छांव में गुजरती रहीं
सच ! यादें समेट के रख लीं हैं हमने !

वाह, बहुत अच्छी बात, उदय जी।
हर शे‘र कुछ सोचने के लिए मजबूर करता है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

काश अपना भी एक खाता स्विस बैंक में होता..

राज भाटिय़ा said...

अरे हमारा खाता स्विस बेंक मे भी हे ओर जर्मन बेंक मे भी..... काला तो क्या वहां सफ़ेद पेसा भी नही टिकता जी, जब की यही नोकरी करते हे, सुबह से शाम तक, ओर यह नेता इतनी दुर बेठे....
बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद

संजय भास्‍कर said...

हर शेर लाजवाब और बेमिसाल ..

सुरेश शर्मा . कार्टूनिस्ट said...

अच्छी सोच..सटीक !