कल तक हमें पता नहीं था, कि हम कहाँ हैं
चलो आज का दिन खुशनुमा है, हम यहाँ हैं !
...........
सर्द हवाएं और है कडकडाती ठंड
गुनगुनी धूप संग बिखरा सवेरा !
...........
न जाने, कौन है, जो मेरी राहों को तकता है
गुजरता हूँ, गुजर जाता हूँ, पर मेरी आहट से छिपता है !
...........
'उदय' क्या सोचते हो, नया साल है चलो कुछ नया ठोक दें
कोई तो होगा मायूस, चलो उसे ही नव वर्ष शुभा-शुभ बोल दें !!
चलो आज का दिन खुशनुमा है, हम यहाँ हैं !
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सर्द हवाएं और है कडकडाती ठंड
गुनगुनी धूप संग बिखरा सवेरा !
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न जाने, कौन है, जो मेरी राहों को तकता है
गुजरता हूँ, गुजर जाता हूँ, पर मेरी आहट से छिपता है !
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'उदय' क्या सोचते हो, नया साल है चलो कुछ नया ठोक दें
कोई तो होगा मायूस, चलो उसे ही नव वर्ष शुभा-शुभ बोल दें !!
नया साल शुभा-शुभ हो, खुशियों से लबा-लब हो
न हो तेरा, न हो मेरा, जो हो वो हम सबका हो !!
न हो तेरा, न हो मेरा, जो हो वो हम सबका हो !!
19 comments:
नया साल शुभा-शुभ हो, खुशियों से लबा-लब हो
न हो तेरा, न हो मेरा, जो हो वो हम सबका हो !!
आपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें...स्वीकार करें
बहुत खूब ...अंदाज -ए- वयां पसंद आया
बहुत खूब. नया वर्ष आपके लिए भी सुख-समृद्धि दायक हो.
नए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!
आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......
Thokiye नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये .
आपको भी शुभकामनायें।
आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये ......
इस सार्थक रचना के साथ आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।
नया साल शुभा-शुभ हो, खुशियों से लबा-लब हो
न हो तेरा, न हो मेरा, जो हो वो हम सबका हो !!
सुन्दर रचना
नूतन वर्ष मंगलमय हो
नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें!
पल पल करके दिन बीता दिन दिन करके साल।
नया साल लाए खुशी सबको करे निहाल॥
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.
नव वर्ष की आप सभी को शुभकामनाऎं
आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये ......
kya kahna udayji!
nav varsh shubh-shubh ho.
नववर्ष शुभ हो...
हमारा का भाव उत्तम है ...
नव वर्ष की शुभकामनाएँ
नव वर्ष आपके जीवन को नए आयाम दे...
सुन्दर प्रस्तुति
आपका साथ यू ही बना रहे, ईश्वर से कामना है.
सुंदर अभिव्यक्ति
पाश्चात्य नववर्ष की शुभकामनाएँ
महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के ब्लॉग हिन्दी विश्व पर राजकिशोर के ३१ डिसेंबर के 'एक सार्थक दिन' शीर्षक के एक पोस्ट से ऐसा लगता है कि प्रीति सागर की छीनाल सस्कृति के तहत दलाली का ठेका राजकिशोर ने ही ले लिया है !बहुत ही स्तरहीन , घटिया और बाजारू स्तर की पोस्ट की भाषा देखिए ..."पुरुष और स्त्रियाँ खूब सज-धज कर आए थे- मानो यहां स्वयंवर प्रतियोगिता होने वाली ..."यह किसी अंतरराष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय के औपचारिक कार्यक्रम की रिपोर्टिंग ना होकर किसी छीनाल संस्कृति के तहत चलाए जाने वाले कोठे की भाषा लगती है ! क्या राजकिशोर की माँ भी जब सज कर किसी कार्यक्रम में जाती हैं तो किसी स्वयंवर के लिए राजकिशोर का कोई नया बाप खोजने के लिए जाती हैं !
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