आज रात कुछ अजब सी ठण्ड
और मैं ठण्ड से ठिठुर रहा हूँ
सारी राह मैं तुम्हें हर पल याद
सचमुच याद करते चल रहा हूँ
सच ! उस रात के एक एक पल
मेरी आँखों में, याद से समा रहे हैं
उस ठिठुरती रात में कैसे तुमने
मुझे अपने आगोश में लिया था
और कैसे तुमने मेरे बदन के
अंग अंग को छू कर, चूम कर
अंगारे की तरह तपतपाया था
हाँ सचमुच याद है मुझे वो रात
आज की इस ठिठुरती रात से भी
वो रात कहीं अधिक ठंडी थी !
पर आज मैं डरते, ठिठुरते
सहमते बढ़ रहा हूँ, शायद तुम
तुमने मुझे माफ़ नहीं किया होगा
तुम अब तक नाराज बैठी होगी
गुस्ताखी ! सुबह जल्दबाजी में तुम्हें
चुम्बन दिए बगैर जो चला आया हूँ !
यह सफ़र, यह रास्ता और यह ठंड
कैसे भी, किसी भी तरह गुजर जाए
और तुम मेरी सुबह की गुस्ताखी
भूलते, माफ़ करते, हंसते हुए
दर पर राह निहारते मिल जाओ
यह उम्मीद भी सिर्फ इसलिए
कि तुम जानती हो, मैं सिर्फ
सिर्फ तुमसे अटूट प्यार करता हूँ
आज इस कडकडाती ठंड में
तुम ही मुझे नया जीवन दे सकती हो !
यह चंद मिनटों का बचा सफ़र
तो मैं जैसे-तैसे तय कर लूंगा
पर घर पहुँचने पर, न जाने
तुम्हारे नाराजगी भरे पलों में
मुझ पर कैसी गुजरेगी, तुम्हारे
मर्म स्पर्श के बगैर एक एक पल
न जाने कैसे मुझे जीवित रखेंगे
तुम्हारे मर्म स्पर्श, तन, मन, होंठ
मुझे जो सुकूं, तपन, राहत देंगें
सच ! उससे ही मुझे जीवन मिलेगा !!
18 comments:
nice romantic one!!!some how ur blog updates dont show in my blog
श्याम जी कंबल ले लो वर्ना याद के साथ साथ बुखार भी हो जायेगा
.............कविता बहुत ही रोमांटिक है जी
सुबह जल्दबाजी में तुम्हें
चुम्बन दिए बगैर जो चला आया हूँ !
....चुम्बन ले लेते तो शायद.....सर्दी का एहसास ही नहीं होता
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
जीवन की जीवन्तता बनी रहे।
अब तक तो जम गये होंगे जी, लेकिन अब क्या हो सकता हे सुबह धुप मे बेठियेगा कुछ खुल जायेगे, सुंदर रचना के लिये धन्यवाद
बेहद रोमांटिक कविता लिखी है।
सुन्दर भावपूर्ण रोमांटिक प्रस्तुति..
इस भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार!
सुन्दर अभिव्यक्ति
जीवनी रस से सराबोर रचना। हार्दिक बधाई।
---------
मोबाइल चार्ज करने के लाजवाब ट्रिक्स।
एग्रीगेटर: यानी एक आंख से देखने वाला।
ांअजकल रोमाँटिंग रचनायें लिख रहे हैं। शुभकामनायें।
ठंड में भावों में गर्मी ला दी...
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति!
बहुत सुदंर रचना....
खूबसूरती से लिखे एहसास ...
dhaansoon rachna
badhai
.
इन पंक्तियों से पहले ही कविता ठहर जाती तो ज्यादा अच्छी रहती
iयह सफ़र, यह रास्ता और यह ठंड
कैसे भी, किसी भी तरह गुजर जाए
और तुम मेरी सुबह की गुस्ताखी
भूलते, माफ़ करते, हंसते हुए
दर पर राह निहारते मिल जाओ
यह उम्मीद भी सिर्फ इसलिए
कि तुम जानती हो, मैं सिर्फ
सिर्फ तुमसे अटूट प्यार करता हूँ
आज इस कडकडाती ठंड में
तुम ही मुझे नया जीवन दे सकती हो !
यह चंद मिनटों का बचा सफ़र
तो मैं जैसे-तैसे तय कर लूंगा
पर घर पहुँचने पर, न जाने
तुम्हारे नाराजगी भरे पलों में
मुझ पर कैसी गुजरेगी, तुम्हारे
मर्म स्पर्श के बगैर एक एक पल
न जाने कैसे मुझे जीवित रखेंगे
तुम्हारे मर्म स्पर्श, तन, मन, होंठ
मुझे जो सुकूं, तपन, राहत देंगें
सच ! उससे ही मुझे जीवन मिलेगा !!
@ श्याम सखा 'श्याम'
... aapke sujhaav se sahmat hoon, vahaan par bhee poornataa hai ... aabhaar !!!
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