भईय्या आपने बैंक लूट लिया
एफ.आई.आर.हो जायेगी !
छोड़ ना जाने दे, सब अपने हैं
क्या फर्क पड़ता है !!
भईय्या चौक पे मर्डर कर दिया
पुलिस पकड़ कर ले जायेगी !
छोड़ ना जाने दे, सब अपने हैं
क्या फर्क पड़ता है !!
भईय्या आपने इज्जत लूट ली
चलो यहाँ से भाग चलते हैं !
छोड़ ना जाने दे, सब अपने हैं
क्या फर्क पड़ता है !!
भईय्या नेताजी को टपका दिया
चलो अब तो भाग चलते हैं !
छोड़ ना जाने दे, सब अपने हैं
क्या फर्क पड़ता है !!
भईय्या कप्तान को चांटा जड़ दिया
खैर नहीं, चलो निकल लें !
छोड़ ना जाने दे, सब अपने हैं
क्या फर्क पड़ता है !!
भईय्या कभी तो कुछ फर्क ?
नहीं, कभी नहीं पडेगा !
क्यों, कैसे भईय्या ?
हमारा तंत्र है, सरकार हमारी है !!
15 comments:
छोड़ ना जाने दे, सब अपने हैं, क्या फर्क पड़ता है !
.......आज यही हाल है देश का
मेरा तो यही माना है आज के समय में ..पैसा फेको तमाशा देखो
पैसे के बल पर बड़े से बड़ा अपराधी छूट जाता है
बड़ा जबर व्यंग ठोंका है, इसी तरह छोड़ छोड़ कर देश के उत्थान की आस छोड़ बैठे हैं।
ये हिज़ड़ों का शहर हैं जहां गांधी के तीन बंदर रहते हैं !
uday ji kya karara vyang likha hai.
maja aagaya padhkar.
भईय्या कभी तो कुछ फर्क
नहीं, कभी नहीं, और न पडेगा
क्यों, कैसे भईय्या
लोकतंत्र है सरकार हमारी है !
chodo na jano do,isase jyada kya likhun,bas itni hi budhi hammari hai---:)
poonam
wakayee,kuch fark nahin padta.
जिसकी लाठी उसकी भैंस ....बढ़िया व्यंग
क्या फर्क पड़ता है.
सुन्दर व्यंग प्रस्तुत किया है आपने
जोरदार व्यंग्य ! सुन्दर प्रस्तुति !
बढ़िया व्यंग............सुन्दर प्रस्तुति !
ऐसे ही चलता है हिन्दुस्तान सारी भारत...
बहुत अच्छा व्यंग....
सहमत हे जी आप की बात से, धन्यवाद
uday bhai,
loktantr me jo ho jaye thoda hai.
sateek vyang.
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