"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Tuesday, November 30, 2010
घोटाले ही घोटाले ........ घोटालेबाजों की पौ-बारह !
भ्रष्टाचार : कठोर दंडात्मक कार्यवाही अंतिम विकल्प !
भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जिसके समाधान के लिए शीघ्रता व तत्परता से उपाय तलाशे जाना अत्यंत आवश्यक हो गया है यदि इस समस्या पर गंभीरता पूर्वक विचार-विमर्श नहीं किया गया और समाधान के कारगर उपाय नहीं तलाशे गए तो वह दिन दूर नहीं जब त्राही माम - त्राही माम के स्वर चारों ओर गूंजने लगें। भ्रष्टाचार में लिप्त नेता-अफसर सारी मर्यादाओं का त्याग कर एक सूत्रीय अभियान की भांति लगातार भ्रष्टाचार के नए नए कारनामों को अंजाम देने में मस्त हैं, सही मायने में कहा जाए तो अब अपने देश में भ्रष्टाचारी लोगों का कोई मान-ईमान नहीं रह गया है जो देशप्रेम व आत्म सम्मान की भावना से ओत-प्रोत हो। देश की आतंरिक व बाह्य सुरक्षा से जुडा विषय हो या फिर कोई संवेदनशील राजनैतिक मुद्दा हो, सभी क्षेत्र में भ्रष्टाचार की बू साफतौर पर आ रही है विकास योजनाएं व खेल से जुड़े मुद्दे तो भ्रष्टाचार के अखाड़े ही बन गए हैं।
टेलीकाम संचार से जुड़े २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले ने तो देश को शर्मसार ही कर दिया है, इस घोटाले को देखकर तो ऐसा जान पड़ता है कि २ जी स्पेक्ट्रम से जुडी सारी प्रक्रियाएं भ्रष्टाचार को नए आयाम देने के द्रष्ट्रीकोण से ही संपादित की गईं हैं, देश के अब तक के सबसे बड़े चर्चित इस घोटाले में १.७६ लाख करोड़ रुपयों के घोटाले अर्थात राजस्व क्षति के तथाकथित तौर पर आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं। गौरतलब हो कि कामनवेल्थ गेम्स घोटाला तथा आदर्श सोसायटी घोटाले की आंच अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि २ जी स्पेक्ट्रम घोटाला ज्वालामुखी की तरह धधकने लगा है, वर्त्तमान में यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण ही रहेगा कि २ जी स्पेक्ट्रम रूपी धधकता घोटाला न जाने कितनों को अपनी चपेट में लेकर हस्ती को नेस्त-नाबुत करेगा क्योंकि प्रधानमंत्री तक भी इसकी आंच पहुँच रही है।
२ जी स्पेक्ट्रम घोटाले ने सांसद व राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा खडा कर रखा है सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले ही जेपीसी (संयुक्त संसदीय समीति) जांच की मांग को लेकर हंगामा खडा हो जाता है, सवाल यह है कि २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले में जेपीसी जांच की मांग को लेकर विपक्ष इतना ज्यादा हंगामा करने पर क्यों उतारू हो गया है ! क्या इस तरह के घोटालों पर जेपीसी जांच से सकारात्मक नतीजे मिल सकते हैं या फिर वही ढाक के तीन पात ! ऐसा नहीं है कि पूर्व में कभी जेपीसी जांच नहीं हुई, जांच हुई है पर नतीजे ! बोफोर्स घोटाला, हर्षद मेहता घोटाला, केतन पारिख शेयर घोटाला व शीतल पेय पदार्थ में विषैले कीटाणुओं संबंधी चर्चित मामलों में भी जेपीसी जांच कराई गई है ! वर्त्तमान में जेपीसी जांच की मांग को लेकर जो हंगामा खडा हुआ है तथा लगातार भ्रष्टाचार से जुड़े नए नए मुद्दे अर्थात घोटाले उभर कर सामने आ रहे हैं उसे देखते हुए मेरा मानना तो यह है कि जेपीसी जांच गठित हो या अन्य कोई एजेंसी जांच करे, जांच निष्पक्ष व इमानदारी पूर्वक होनी चाहिए तथा दोषियों को दोष के अनुरूप सजा अवश्य मिलना चाहिए ताकि भविष्य में घोटालेवाजों को सबक मिल सके। कामनवेल्थ गेम्स घोटाला, आदर्श हाऊसिंग सोसायटी घोटाला तथा २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले से जुड़े प्रत्येक दोषी पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही होनी ही चाहिए !
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7 comments:
दोषियों को दण्ड मिले बिना देश को सन्तोष नहीं मिलेगा।
निसंदेह आपके विचारों से सहमत हूँ .... बस कठोर अनुशासन और कठोर दंड ही अंतिम विकल्प है....
Aaj tak kis ghotale me kisee ko tagdee sazaa mili hai? Kaun netnaboot hua hai?? Har koyi aabaad hai!
हम आपके विचारों से सहमत हैं , सुन्दर प्रस्तुति !
कठोर दंडात्मक कार्यवाही होनी ही चाहिए !
कठोर कार्यवाही ही होनी चाहिए
Law will take own course.. अभी कोई राजनीतिबाज यह कहेगा... और यह कोर्स कब पूरा होगा, पता नहीं..
वैसे हर घोटाला एक रिकार्ड होता है, और चैलेंज भी. घोटाले किये नहीं जाते, हो जाते हैं. दर-अस्ल इसे लोग चैलेन्ज बतौर लेते हैं लिहाजा :))
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