कल तक जो दोस्त बन जीत के सपने दिखा रहे थे
आज वही जंग-ए-मैदान में सामने नजर आ रहे थे !
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कल जो नेता मंहगाई पर लंबा-चौड़ा भाषण दे रहा था
आज वह मंहगाई बढाने के लिए व्यापारियों से गुटर-गूं कर रहा था !
आज वही जंग-ए-मैदान में सामने नजर आ रहे थे !
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कल जो नेता मंहगाई पर लंबा-चौड़ा भाषण दे रहा था
आज वह मंहगाई बढाने के लिए व्यापारियों से गुटर-गूं कर रहा था !
8 comments:
uday bhayi shi khaa inki fitrt chupi rhe nqli cheraa saamne aaye asli chehraa chupa arhe. akhtar khan akela kota rajsthan
सटीक अभिव्यक्ति। आभार।
बहुत बढिया श्याम भाई
nice
बिकुल सही कहा है ...दोस्त भी ऐसे और नेता भी ..
ये दोनों सच है, और कड़वा भी।
देश की दुर्दशा और क्या होगी।
अच्छा है टाइम पास ..... .
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