शायद उन्हें मेरा, मुझे उनका इंतज़ार था
और देखते देखते, इंतज़ार की इन्तेहा हो गई।
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कब सुबह से शाम हुई, यह सोचता रहा
ऐसा क्या था उसमें, जो मैं उसे देखता रहा ।
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हर आँखों में तू बसता है, हर दिल में सजदा होता है
बस तेरी रहमत हो जाए, हर धड़कन जन्नत हो जाए।
और देखते देखते, इंतज़ार की इन्तेहा हो गई।
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कब सुबह से शाम हुई, यह सोचता रहा
ऐसा क्या था उसमें, जो मैं उसे देखता रहा ।
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हर आँखों में तू बसता है, हर दिल में सजदा होता है
बस तेरी रहमत हो जाए, हर धड़कन जन्नत हो जाए।
13 comments:
sundar , bahut badiya
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
बड़े रोमान्टिक मूड में हैं...
बहुत खूब आज का ये अंदाज भी पसंद आया .... आभार
बहुत सुन्दर ख्याल्।
kiska hai intjar kya bat hai
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हर आँखों में तू बसता है, हर दिल में सजदा होता है
बस तेरी रहमत हो जाए, हर धड़कन जन्नत हो जाए।
Kya baat hai!Wah!
लाजवाब!
वाह-वाह!!
लाजवाब!
वाह-वाह!!
लाजवाब!
वाह-वाह!!
लाजवाब!
वाह-वाह!!
sundar abhivyakti!
बहुत खूब
बहुत खूब
बहुत खूब............. पसंद आया
यही जहाँ जन्नत हो जाये।
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