"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
ये चाहत बरकरार रहे
बहुत खूब ..
दीप-पर्व के लिये बढ़िया...
लाजबाब।
बहुत खूब ... यूँ ही चाहना अच्छा है ..
वाह...बहुत खूब।
बढिया लिखा है....हाँ एक बात और बता देते कीचाँद की रौशनी या फिर CFL वाली......दिल पर मत लेना दोस्त.“दीपक बाबा की बक बक” क्रांति.......... हर क्षेत्र में.......
वाह!! क्या चाहत का अंदाज है.
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8 comments:
ये चाहत बरकरार रहे
बहुत खूब ..
दीप-पर्व के लिये बढ़िया...
लाजबाब।
बहुत खूब ... यूँ ही चाहना अच्छा है ..
वाह...बहुत खूब।
बढिया लिखा है....
हाँ एक बात और बता देते की
चाँद की रौशनी या फिर CFL वाली......
दिल पर मत लेना दोस्त.
“दीपक बाबा की बक बक”
क्रांति.......... हर क्षेत्र में......
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वाह!! क्या चाहत का अंदाज है.
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