Saturday, October 30, 2010

चाहत

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तू चाहे या न चाहे, कोई बात नहीं
हम तो चाहेंगे तुझे, रात में रौशनी बनाकर !
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8 comments:

M VERMA said...

ये चाहत बरकरार रहे

संगीता पुरी said...

बहुत खूब ..

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

दीप-पर्व के लिये बढ़िया...

प्रवीण पाण्डेय said...

लाजबाब।

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... यूँ ही चाहना अच्छा है ..

महेन्‍द्र वर्मा said...

वाह...बहुत खूब।

दीपक बाबा said...

बढिया लिखा है....

हाँ एक बात और बता देते की

चाँद की रौशनी या फिर CFL वाली......

दिल पर मत लेना दोस्त.


“दीपक बाबा की बक बक”
क्रांति.......... हर क्षेत्र में......
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Udan Tashtari said...

वाह!! क्या चाहत का अंदाज है.