नेताओं की महिमा देखो
खूब जमीं है महफ़िल देखो !
धूम मची है नेताओं की
रंग जमा है नेताओं का !
नेताओं की शान निराली
दौलत हुई है आन पर भारी !
लटक रहे हैं पैर कबर में
दौड़ रहे हैं दिल्ली दिल्ली !
क्या बूढा, क्या महिला देखो
दांव-पेंच हैं अजब निराले !
बूढ़े-बाढ़े नतमस्तक हैं
युवराजों की शान निराली !
क्या बूढ़े, क्या बच्चे देखो
लूट रहे हैं मिलकर सारे !
स्कूलों - कालेजों में भी
शान हो रही नेताओं की !
पढ़ना-लिखना भूल रहे हैं
नेतागिरी सीख रहे हैं !
बच्चे भी अब डोल रहे हैं
नेता नेता खेल रहे हैं !!
18 comments:
क्या कटाक्ष है! सुंदर .. अति सुंदर!! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
पक्षियों का प्रवास-२, राजभाषा हिन्दी पर
फ़ुरसत में ...सबसे बड़ा प्रतिनायक/खलनायक, मनोज पर
बहुत बढ़िया रचना ...भाई बच्चे भी जानने लगे हैं की आगे नेता बनना फायदेमंद है ....
लटक रहे हैं पैर कबर में
दौड़ रहे हैं दिल्ली दिल्ली
बूढ़े-बाढ़े सब नतमस्तक हैं
युवराजों की शान निराली
बहुत अच्छा सटीक कटाक्ष है। बधाई।
कहीं ये हसरत भरी निगाहें तो नहीं.
neta banate hi saat pushten tar jaati hain ...badhiya kataksh
:-) बहुत ही बेहतरीन! ज़बरदस्त!
सार्थक एवं प्रभावी पोस्ट के लिए सादर बधाई.......
@ Rahul Singh
... आप राह पकडोगे तो संभव है पीछे पीछे हो लें !!!
इतने सुन्दर व्यवसाय कहाँ मिलेंगे, नेताओं जैसे।
इतने सुन्दर व्यवसाय कहाँ मिलेंगे, नेताओं जैसे।
बढिया व्यंग्य।
..............
यौन शोषण : सिर्फ पुरूष दोषी?
क्या मल्लिका शेरावत की 'हिस्स' पर रोक लगनी चाहिए?
रचना का भाव व्यंगात्मक रूप से बढ़िया है । लेकिन भाई , कविता को कविता की तरह लिखने की कोशिश ज़रूर करो ।
व्यंग भरी कविता के माध्यम से आप ने बहुत कुछ कह दिया, बहुत खुब धन्यवाद
vaah bhai, sundar vyagya rachana. badhai....
बच्चे भी अब डोल रहे हैं
नेता नेता खेल रहे हैं !!
...हंसी-हंसी में गहरी बात कहती इन पंक्तियों ने खासा प्रभावित किया।...आखिर हम बच्चों को कौन सा संदेश देना चाहते हैं..!
बच्चे भी अब डोल रहे हैं
नेता नेता खेल रहे हैं !!
...हंसी-हंसी में गहरी बात कहती इन पंक्तियों ने खासा प्रभावित किया।...आखिर हम बच्चों को कौन सा संदेश देना चाहते हैं..!
ज़बरदस्त!
ज़बरदस्त!
..........ज़बरदस्त!
बहुत कुछ कह दिया कविता के माध्यम से आप ने ...
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