Thursday, October 21, 2010

कामनवेल्थ गेम्स : भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार


कामनवेल्थ गेम्स - २०१० का आयोजन देश की राजधानी नई दिल्ली में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ, ये और बात है कि आयोजन की संपूर्ण प्रक्रिया पर शुरू से अंत तक भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे, पर आयोजन की प्रक्रिया चलती रही और अंतत: एक सफल आयोजन के रूप में कामनवेल्थ गेम्स संपन्न हुए, किन्तु संपूर्ण आयोजन प्रक्रिया में जाहिरा तौर पर ही भ्रष्टाचार की बू महसूस की जाती रही है ! भ्रष्टाचार हो भी क्यों , आखिर ७० हजार करोड़ का बजट जो था ! ७० हजार करोड़ कोई छोटी-मोटी रकम नहीं होती है, पर क्या कहें आखिर कामनवेल्थ गेम्स आयोजन भी कोई छोटा-मोटा खेल आयोजन नहीं था ! विशाल खेल आयोजन पर विशाल रकम खर्च होनी ही चाहिए, पर खर्च को लेकर जो चर्चाएँ गलियारों में फ़ैली हुई हैं उन्हें सुनकर तो यही लगता है कि सरकारी धन की खूब 'बन्दर बांट' हुई है 'बन्दर बांट' भी कुछ इस तरह लग रही है कि कुछेक लोगों की तो लाटरी निकल पडी थी, इसे हम लाटरी के टिकट वाली लाटरी समझें वरन एक खजाना मिल जाने वाली लाटरी समझें तो ज्यादा उचित होगा, जब खजाना मिल ही गया था तो फिर दोनों हाथों से लूटने-लुटाने से कैसा परहेज ! चर्चाएं आरोप-प्रत्यारोप सुनकर तो यही लग रहा है कि धन का उपयोग कम दुरुपयोग ज्यादा हुआ है यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि कुछेक लोग तो तर गए अर्थात 'मालामाल' हो गए !

यह सर्वविदित है कि कामनवेल्थ गेम्स के आयोजन की जिम्मेदारी भारत को सन-२००३ में सौंपी गई थी किन्तु २००६ तक यह परियोजना फाइलों में ही दबी पडी रही तथा जब शुरू हुई तो आनन्-फानन में त्रुटियाँ होना लाजिमी है ! चलो देर आये दुरुस्त आये वाली कहावत चरितार्थ तो हुई, इसमें कतई संदेह नहीं है कि आयोजन एक विशाल आकर्षक आयोजन साबित हुआ इस खेल आयोजन में शामिल हुए लगभग सभी देशों के खिलाड़ियों तथा दर्शकों ने आयोजन की भूरी-भूरी प्रसंशा की है, दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सफल आयोजन ने देश की गरिमा में चार चाँद लगा दिए तथा देश के खिलाड़ियों ने पदक-पर-पदक जीत कर आयोजन को सोने-पे-सुहागा सिद्ध कर दिया, निसंदेह यह अत्यंत गौरव की बात है खिलाड़ियों के भूलने वाले प्रदर्शन की जितनी सराहना की जाए कम ही होगी, खिलाड़ियों के प्रदर्शन पदक विजेता खिलाड़ियों को मैं सलाम करता हूँ

कामनवेल्थ गेम्स का आयोजन, ७० हजार करोड़ का बजट, सुरेश कलमाडी की अध्यक्षता वाली आयोजन समीति तथा भ्रष्टाचार के नए नए आयाम रचने वाला अपना देश ! यह कोई नया या सुनहरा अवसर नहीं था भ्रष्टाचार के लिए, भ्रष्टाचार तो अपने देश में आम बात हो गई है सही मायने में कहा जाए तो अपने देश में भ्रष्टाचार की कोई मर्यादा, सीमा या दायरा नहीं है जिसको जहां - जहां मौक़ा मिल रहा है जी भर कर मुंह मार रहा है, लगभग सभी भ्रष्टाचारी यह भलीभांति जानते हैं कि उनका कुछ बिगड़ना तो है नहीं, देर-सबेर भ्रष्टाचार की पुरानी फाइलों की तरह नई फाइलें भी कहीं--कहीं धूल खाते पडी रहेंगी, फिर क्यों भ्रष्टाचार से मुंह मोड़ा जाए ! ठीक इसी क्रम में ७० हजार करोड़ का बजट देख कर मुंह में पानी आना लाजिमी है, जब मुंह में पानी ही गया तो फिर मान क्या और मर्यादा क्या ! सुरेश कलमाडी की अध्यक्षता वाली आयोजन समीति ने भी वही किया जो किसी दूसरे नाम वाली समीति करती तात्पर्य यह है कि आज जो नाम सामने है वह सुरेश कलमाडी का है कोई दूसरा होता तो उसका नाम सामने होता, कहने का सीधा-सीधा तात्पर्य यह है कि समीति का अध्यक्ष कोई भी होता, होता वही जो हुआ है !

इसमे कतई संदेह नहीं है कि कामनवेल्थ गेम्स आयोजन में सिर्फ भ्रष्टाचार की सभी मर्यादाएं पार हुई होंगी वरन भ्रष्टाचार के नए नए आयाम भी रचे गए होंगे ! जिस तरह के आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं उन्हें देख-सुन कर तो यही लग रहा है कि इस 'बन्दर बांट' के लिए किसी एक व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, यह माना कि सुरेश कलमाडी आयोजन समीति के अध्यक्ष थे किन्तु एक व्यक्ति का इतना दम-ख़म नहीं की वह अकेला ७० हजार करोड़ रुपयों का खेल करता रहे और सब देखते रहें ! इस बात से कतई इन्कार नहीं किया जा सकता कि इस महा घोटाले में किसी एक व्यक्ति ने अकेले गुटर-गूं की हो और बांकी सब महारथी देखते रहे हों , निश्चिततौर पर इस महा घोटाले के लिए किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता ! खैर देखते हैं आगे आगे क्या होता है आखिर इस महा घोटाले पर पर्दाफ़ाश के लिए जांच तो शुरू हो ही गई है, पर देखने वाली बात यह भी होगी कि जांच के परिणाम कब कितने देर बाद सामने आयेंगे, कहीं ऐसा हो कि अन्य जांचों की तरह यह जांच भी स्वमेव ठंठे बस्ते में चली जाए !

8 comments:

निर्मला कपिला said...

पहले क्या कभी किसी जाँच का कुछ हुया है? फिर आगे की आशा क्या करें। आभार।

Sunil Kumar said...

aapka andaja bilkul sahi hai yeh janch chalte chalte band ho jayegi

हरकीरत ' हीर' said...

रोचक ....!!

प्रवीण पाण्डेय said...

अन्दर का दर्द और गर्द, दोनों ही बाहर आयेगा।

सूर्यकान्त गुप्ता said...

भैया क्या टिप्पणि करें "वेल्थ" जब "कॉमन" हो जाये, कर्ता धर्ता की "हेल्थ" बनाये। जय जोहार्……॥

मनोज कुमार said...

असल खेल तो अब शुरु हुआ है!

गौरव शर्मा "भारतीय" said...

सार्थक एवं प्रभावी पोस्ट के लिए सादर बधाई.......

दिगम्बर नासवा said...

आप अभी भी इसके रिज़ल्ट की सोच रहे हैं ... बहुत आशावादी हैं ...