"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Wednesday, October 6, 2010
अयोध्या विवाद : हिन्दू-मुस्लिम सभी शान्ति के पक्षधर !
राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद विवाद ... भूमि के मालिकाना हक़ को लेकर इलाहावाद उच्च न्यायालय में चल रहा वादी - प्रतिवादी के बीच का कोई छोटा-मोटा मुद्दा नहीं था वरन एक एक हिन्दू व मुसलिम की धार्मिक आस्थाओं व भावनाओं से जुडा मुद्दा था, न्यायालय से भूमि के मालिकाना हक़ के संबंध में फैसला जरुर आ गया किन्तु यह मसला आसानी से सुलझता नहीं जान पड़ता है क्योंकि मुद्दा भूमि के स्वामित्व से बढ़कर धार्मिक भावनाओं व प्रतिष्ठा का है, यही कारण है कि संतोष - असंतोष के स्वर सुनाई पड़ रहे हैं , फिर भी बातचीत के माध्यम से सुलह का प्रयास जारी है ताकि सुप्रीम कोर्ट न जाना पड़े।
समस्या किसी एक व्यक्ति या धार्मिक संघठन को लेकर नहीं है वरन हिन्दू-मुसलिम समूहों को लेकर है, यहाँ इस विषय पर चर्चा लाजिमी नहीं होगी क्योंकि हम सभी भली-भाँती जानते हैं कि अपने देश में धार्मिकता का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कितना बोल-बाला है। राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद विवाद बैठकर आपसी चर्चा-परिचर्चा, सलाह-मशविरा से सुलझ जाए यह भी संभव नजर नहीं आता क्योंकि वह समय व दौर गुजर चुका है और साथ ही साथ समस्या यह भी है कि दोनों पक्षों के पास ऐसा कोई व्यक्तित्व भी नजर नहीं आता जिसे सभी सलाम करते हों, यहाँ "सलाम" करने से मेरा तात्पर्य एकजुटता, समर्पण, सदभाव व आस्था से है।
हिन्दू पक्ष हो या मुसलिम पक्ष दोनों समुदायों में अनेक संघठन हैं जिनमें समय समय पर आपस में ही तर्क-वितर्क चलते रहते हैं तथा हर किसी का अपना अपना पृथक अस्तित्व है, इन हालात में किसी मुद्दे पर खासतौर पर "राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद विवाद" जैसे गंभीर मुद्दे पर एक आम राय बन पाना अपने-आप में "टेढ़ी खीर" है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इस समस्या का शान्ति पूर्वक कोई समाधान नहीं निकलेगा, समाधान जरुर निकलेगा क्योंकि चाहे हिन्दू हो या मुसलमान सभी शान्ति व सौहार्द्र के पक्षधर हैं और रहेंगे ... शान्ति व सौहार्द्र के लिए हमें, हम सभी को, सभी देश वासियों को, संयम, धैर्य, समर्पण का परिचय देते हुए देशप्रेम व भाईचारे की एक अनमोल मिसाल पेश करना होगा जिससे राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद विवाद सरल व सहज ढंग से सुलझ जाए ।
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11 comments:
'उदय' जी आज तो गज़ब कर दिया……………शुरु से आखिर ……………बडी गहरी विवेचना की है।
सुन्दर विश्लेषण ..
हिन्दू और मुस्लिम से परे आम आदमी शांति का पक्षधर ही होता है.
उम्दा विश्लेषण...सही कहा कि सभी शांति चाहते हैं.
विचारोत्तेजक। बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
मध्यकालीन भारत-धार्मिक सहनशीलता का काल (भाग-२), राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
आपका आलेख गहरे विचारों से परिपूर्ण होता है।
सभी इस समस्या का सटीक हल शांतिपूर्वक चाहते हैं...
अच्छा लिखा है ... तार्किक विश्लेषण किया है .... समस्या आपसी बातचीत से सुलझ जाय तो अच्छा ही है ...
sundar lekh !...aabhar !
सर यही तो असली बात है कि सभी शांति चाहते हैं और कम से कम एक आम आदमी तो यही चाहता है ....देखिए न इस फ़ैसले के आने के बाद ..कोई चाहत पूरी न हो पाने के कारण कितनी बौखलाहट मची हुई है सबमें .....
सुन्दर विचारपूर्ण आलेख.
यह आलेख आज के चौपाल, छत्तीसगढ़ में प्रकाशित है.
सच है, सबको शान्ति चाहिये। उनका कुछ नहीं कह सकते जिन्हे वोट चाहिये।
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