हिन्दू - मुसलमां
सोचो और समझो
मंदिर - मस्जिद
या शान्ति - सौहार्द्र
कब तक चलेंगे
ये मजहब के मुद्दे
कब हम कहेंगे
है हिन्दोस्तां हमारा !
भड़काऊ भाषण
झूठी मोहब्बत
वोटों की नीति
चुनावों के मुद्दे
मतलब की बातें
मतलब के नेता
कब हम कहेंगे
है हिन्दोस्तां हमारा !
बस्ती अमन की
कत्लों के मंजर
सन्नाटे से दिन
तूफानों सी रातें
कब तक चलेंगे
ये शोर - शराबे
कब तक जहन में
हम हिन्दू-मुसलमां
कब हम कहेंगे
है हिन्दोस्तां हमारा !
9 comments:
सद्विचार और सत्संग ! उदय भाई आभार
बहुत बढ़िया बात कहीं रचना में प्रेरक रचना...
achhi kavita...wah..
हर बार की तरह शानदार प्रस्तुति
आदरणीय 'उदय' जी
नमस्कार !
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
सामयिक उद्गार।
बहुत सुंदर बात कही आप ने इस कविता मे, धन्यवाद
कब तक जहन में
हम हिन्दू-मुसलमां
कब हम कहेंगे
है हिन्दोस्तां हमारा !
Tab tak kahenge,jab tak sab hamara saath na dene lag jayen...baar,baar kahenge....kabhi to log sunenge!
खड़का दिया आज तो .... बहुत खूब ...
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