अयोध्या विवाद ... राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद विवादास्पद स्थल के स्वामित्व विवाद पर आज हाईकोर्ट लखनऊ द्वारा अपना फैसला सुनाया जाना है ... दोनों पक्ष अदालत के फैसले को सर-आँखों पर लेंगे ऐसा सुन रहे हैं यदि कोई पक्ष फैसले से असंतुष्ट रहता है तो उसके पास अपील करने का रास्ता खुला हुआ है, साथ ही साथ अदालती फैसले के वाद भी यदि दोनों पक्ष चाहें तो बैठकर आपस में सलाह-मशविरा कर भी किसी नतीजे पर आम सहमत हो सकते हैं।
यह मुद्दा बेहद संवेदनशील है क्योंकि हिन्दू-मुस्लिम धार्मिक आस्थाओं से जुडा हुआ है अदालती फैसले से दोनों पक्षों के संतुष्ट होने के पश्चात भी यह मसला बेहद संवेदनशील रहेगा क्योंकि देश के किसी भी कोने से छोटी-मोटी नकारात्मक प्रतिक्रया भी देश में शान्ति व सौहार्द्र को प्रभावित कर सकती है इन संवेदनशील हालात को देखते हुए ... देश के सभी उच्च पदस्थ व्यक्तित्व ने तथा भारतीय मीडिया ने देश की जनता से शान्ति व सौहार्द्र बनाए रखने के लिए अपील की है ... किन्तु भारतीय मीडिया खासतौर पर न्यूज चैनल्स से मेरी व्यक्तिगत तौर पर एक उम्मीद / आशा है कि : -
- वे देश के किसी भी कोने से ऐसी खबर को "ब्रेकिंग न्यूज" न बनाएं जो हिन्दू-मुस्लिम की धार्मिक संवेदनाओं को उद्देलित करे।
- किसी भी पक्ष के ऐसे प्रतिनिधियों की बाईट / स्टेटमेंट लेने से दूर रहें जो अक्सर ही तीखे विचार व्यक्त करते हैं।
- अनावश्यक रूप से किसी की भी स्टेटमेंट लेने को तबज्जो न दें ताकि वे लोग बे-वजह ही हीरो बनने के लिए तीखे विचार व्यक्त करें अथवा पक्ष विशेष के हिमायती बनने की कोशिश करें ।
- अदालती फैसले से उपजे व हिन्दू-मुस्लिम धार्मिक भावनाओं से जुड़े किसी भी प्रकार के नकारात्मक पहलुओं को हाईलाईट न करें।
17 comments:
शायद मान ले आपकी बात, उम्मीद कम ही है।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
मध्यकालीन भारत धार्मिक सहनशीलता का काल, मनोज कुमार,द्वारा राजभाषा पर पधारें
ऐसे लेखों कि बहुत आवश्यकता है ...ईश्वर से प्रार्थना है कि लोग इसे समझ पायें !
धैर्य, सबकी चाह।
धैर्य तो खैर दिख ही रहा है, दशकों से फैसला जो टला हुआ है, भाई को तो अभी भी उम्मीद नहीं लगती , कुछ समय तक और तारीख पे तारीख वाला काम चलने वाला है शायद. अच्छा ही है की लोग ऊब जाए और उनके लिऐ निर्णयकोई मुद्दा ही न रहे ... !
ईश्वर से प्रार्थना ही की जा सकती है !!
Beautiful appeal. Let's see !
ऐसे लेखों कि बहुत आवश्यकता है
टी.आर.पी. के कारण कौन मानेगा
ये स्वयंभू धर्मनिरपेक्ष मुद्दे से दूर रहे तो अशांति हो ही नहीं.
सतीश सक्सेना जी - लोग तो समझ जायेंगे, चैनल और अखबारों को कौन समझायेगा?
स्टार टीवी और आज तक ने तो सुबह से ही रायता फ़ैलाना शुरु कर दिया है…
दो चार जगह दंगे होंगे....सौ पचास लोग मरेंगे तो न इनकी रोजी अगले पांच छ महिन तक चलती रहैगी,,,,भई सीजन का टाईम हैं इनका कैसी बातें ककरती हो आप
bahut hi saarthak lekh shyam bhai....aise vicharo ki jarurat hai...
ईश्वर से प्रार्थना है कि लोग इसे समझ पायें !
सबको सन्मति दे भगवान! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
चक्रव्यूह से आगे, आंच पर अनुपमा पाठक की कविता की समीक्षा, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
अफ़सोस तो यही है उदय जी कि, इन पर अपील का अब कोई असर नहीं होता है ....इन्हें भी डंडे से समझाने का वक्त आ गया है शायद
अब तो फ़ेसला आ ही गया, सब तरफ़ शांति रहे, यही उम्मीद करते है, आप ने सही लिखा धन्यवाद
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