न तेरे आने पर खुशी थी, न जाने पर गम होगा
होगा जरुर कुछ, जब तक तेरा-मेरा साथ होगा ।
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बेटा सामने कमरे में बैठ, दोस्तों संग पैक-पे-पैक लड़ा रहा है
अन्दर कमरे में बाप, खाट पे पडा दबा के लिए तड़फडा रहा है ।
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वह रकीब बन, पत्थर हाथ में लेके मुझे ढूँढता रहा
सामने जब आया तो, पत्थर को घंटों चूमता रहा ।
होगा जरुर कुछ, जब तक तेरा-मेरा साथ होगा ।
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बेटा सामने कमरे में बैठ, दोस्तों संग पैक-पे-पैक लड़ा रहा है
अन्दर कमरे में बाप, खाट पे पडा दबा के लिए तड़फडा रहा है ।
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वह रकीब बन, पत्थर हाथ में लेके मुझे ढूँढता रहा
सामने जब आया तो, पत्थर को घंटों चूमता रहा ।
8 comments:
truly brilliant..
keep writing.....all the best
regards
sanjay bhaskar
बच्चों की नलायकी पर कहा गया शे’र दमदार है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
स्वरोदय विज्ञान – 10 आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
बेटा सामने कमरे में बैठ, दोस्तों संग पैक-पे-पैक लड़ा रहा है
अन्दर कमरे में बाप, खाट पे पडा दबा के लिए तड़फडा रहा है ।
यह तो आज का सच है जी, धन्यवाद
सभी शेर अच्छे लगे
एक बात तो माननी पड़ेगी, कभी ग़ालिब भी आपके शेर पढ़ लें , तो एक बार तो वो भी हैरान रह जाएंगे की ये कौन सा अंदाज़ है ...
badhiya shero-shayri...aabhar.
वाह , क्या बात है । बढ़िया ।
हृदय छूती पंक्तियाँ।
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