Friday, September 10, 2010

ईद मुबारकां ..... शेरों की महफ़िल !!!



रंज--गम होंगे, सिकवे-गिले होंगें
वतन
की सर-जमीं पे, चाँद के दीदार जब होंगें
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क्या सुबह - क्या शाम होगी, हर घड़ी बस ईद होगी
कोई हिन्दू - मुसलमां होगा, दिलों में ईद का जश्न होगा
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रंजिसों को दफ़न कर, कर लें तौबा गुनाहों से
चलो
मिलकर करें सजदे, वतन को आस है हमसे

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क्या तेरा - क्या मेरा, हर जगह है खुदा का बसेरा
आज
ईद है, चलो मिलकर सजाएं एक नया सबेरा

12 comments:

राज भाटिय़ा said...

सभी सेर बहुत सुंदर जी.
क्या तेरा - क्या मेरा, हर जगह है खुदा का बसेरा
आज ईद है, चलो मिलकर सजाएं एक नया सबेरा।

Shah Nawaz said...

ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद!


मेरा लेख:
ईद मुबारक!

Majaal said...

न कोई चाह है,
न कोई मुरीद है,
दीवानों के लिए,
हर शाम दिवाली,
और हर रात ईद है !

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बहुत अच्छे भाव हैं उदय भाई.
आपको ईद मुबारक.

36solutions said...

सुन्‍दर शेर.

ईद व गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनांए.

प्रवीण पाण्डेय said...

सबको ईद व गणेश चतुर्थी की बधाई।

अंजना said...

ईद व गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनांए.

girish said...

sundar soch k liye badhai...

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) said...

क्या तेरा - क्या मेरा, हर जगह है खुदा का बसेरा
आज ईद है, चलो मिलकर सजाएं एक नया सबेरा।

Bahut khoobsurat soch!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

ईद व गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनांए.

राजभाषा हिंदी said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।

देसिल बयना – 3"जिसका काम उसी को साजे ! कोई और करे तो डंडा बाजे !!", राजभाषा हिन्दी पर करण समस्तीपुरी की प्रस्तुति, पधारें

दिगम्बर नासवा said...

ईद की बहुत-बहुत मुबारकबाद ....